Will Dmart Survive?

 डीमार्ट का शेयर प्राइस गिरावट में

डीमार्ट के आसमान में घने काले बादल मंडरा रहे हैं, जैसे कि कोई बड़ा तूफान आने वाला है। पिछले एक महीने में Dmart के शेयर प्राइस में 13% की गिरावट आई है, जो अपने ऑल-टाइम हाई ₹323 से काफी नीचे है। साथ ही, इसके दूसरे क्वार्टर के नतीजे भी पहली तिमाही के मुकाबले निराशाजनक रहे हैं। हालांकि, नंबर्स इतने भी बुरे नहीं हैं, फिर भी शेयर की कीमत गिरने के पीछे कई कारण हैं, जिनकी हम आगे विस्तार से चर्चा करेंगे।

Dmart की तीन कैटेगरी

डीमार्ट की आय का स्रोत तीन प्रमुख कैटेगरी में बंटा हुआ है:

  1. फूड: इस कैटेगरी से 56.4% रेवेन्यू आता है।
  2. नॉन-फूड्स (एफएमसीजी): इसमें होम केयर, पर्सनल केयर जैसी चीजें शामिल हैं, जो 20.15% रेवेन्यू जनरेट करती हैं।
  3. जनरल मर्चेंडाइज और अपैरल: यहां से 23.45% रेवेन्यू आता है, जिसमें बेड और बाथ, क्रॉकरी, गारमेंट्स, फुटवियर जैसी चीजें आती हैं।

बढ़ती प्रतिस्पर्धा

डीमार्ट के हर सेगमेंट पर प्रतिद्वंदी कंपनियों की नजर है। क्विक कॉमर्स जैसे प्लेटफॉर्म की वृद्धि दर बहुत तेजी से बढ़ रही है। उदाहरण के लिए, 2020 में क्विक कॉमर्स की ग्रॉस मर्चेंडाइज वैल्यू 100 मिलियन डॉलर थी, जो 2024 में 3.3 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई है। इस वृद्धि के साथ, कई बड़े खिलाड़ी तेजी से क्विक कॉमर्स में कदम बढ़ा रहे हैं।

डीमार्ट का सामना क्विक कॉमर्स से

डीमार्ट का स्टोर-बेस्ड मॉडल क्विक कॉमर्स के सप्लाई चेन मॉडल के मुकाबले काफी धीमा साबित हो रहा है। ब्लिंकिट जैसे प्लेटफॉर्म ने अपने डार्क स्टोर्स बनाए हैं जो 2-3 किमी के दायरे में तेज डिलीवरी सुनिश्चित करते हैं। जबकि डीमार्ट का मॉडल इस तेजी के साथ कंपीट नहीं कर पा रहा है।

ऑनलाइन और नॉन-ग्रॉसरी सेगमेंट में बढ़ता असर

डीमार्ट के प्रतिस्पर्धियों की पकड़ अब सिर्फ ग्रॉसरी तक सीमित नहीं है। उदाहरण के लिए, हिंदुस्तान यूनिलीवर का 10% आइसक्रीम बिजनेस भी क्विक कॉमर्स से आता है। इस क्षेत्र में, नॉन-ग्रॉसरी सेगमेंट में भी क्विक कॉमर्स ने तेज पकड़ बना ली है।

टाटा ग्रुप का नया खिलाड़ी

टाटा ग्रुप ने भी तेजी से इस सेगमेंट में अपनी पकड़ बनानी शुरू कर दी है। टाटा का एक प्रमुख प्लेयर 164 शहरों में 545 स्टोर्स के साथ तेजी से विस्तार कर रहा है, जिसमें से 200 स्टोर्स इसी साल खुले हैं।

बदलता ग्राहक व्यवहार

क्विक कॉमर्स ने ग्राहकों के खरीदारी व्यवहार में बदलाव ला दिया है। लोग अब थोड़ी-बहुत आवश्यक चीजों के लिए भी ऑनलाइन शॉपिंग को प्राथमिकता देने लगे हैं।

डीमार्ट के लिए आगे का रास्ता

डीमार्ट के पास क्विक कॉमर्स में उतरने या फ्रेंचाइजिंग मॉडल अपनाने के विकल्प हैं। इस प्रकार से, कंपनी अपने बिजनेस मॉडल में कुछ लचीलापन ला सकती है। डीमार्ट ने ‘डीमार्ट रेडी’ के जरिए डिलीवरी मॉडल को अपनाने की कोशिश की थी, पर उसमें उन्हें 140 करोड़ का नुकसान हुआ। ऐसे में, डीमार्ट को नई रणनीतियों पर काम करने की जरूरत है ताकि वह तेजी से बदलते बाजार में टिक सके।

डीमार्ट के वैल्यूएशन में करेक्शन

कभी Dmart का PE रेशो 200 के पार था, जो अब 95 पर आ चुका है। कंपनी के विकास की सीमाएं अब स्पष्ट हो चुकी हैं, जिसके चलते वैल्यूएशन में करेक्शन देखने को मिल रहा है। यदि डीमार्ट जल्दी कुछ बड़े कदम नहीं उठाता, तो इसके शेयर प्राइस में और गिरावट की संभावना है।

अंत में

डीमार्ट का भविष्य अब उसकी रणनीति पर निर्भर करता है। अगर कंपनी अपने मॉडल में बदलाव नहीं लाती है और ग्राहकों की बदलती अपेक्षाओं के साथ तालमेल नहीं बैठाती, तो इसे कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।